गुरुवार, 30 जनवरी 2014

एक मंडली ऐसी बनी

समाचार अच्छा है, एक मंडली ऐसी बनी, जो स्वजातीय जरूरतमंद लोगों की मदद करेगी। पूरा बोझ कौन उठा सकता है? अतः आपात्कालीन हाल में, दुख में साथ देने वाली मित्र मंडली। संस्था संगठन तो बन ही जाते हैं, तो शुरू करने के लिये एक जरूरत मंद परिवार के कन्यादान में बारात को खिलाने एवं कुछ कपड़े वगैरह की जिम्मेवारी लोगों ने उठा ली। विवाह विष्णुपद मंदिर में होगा। बजट बहुत बड़ा नहीं है, यह तो बस आरंभ है। मदद की भावना ही बहुत बड़ी बात है। मित्र मंडली आज श्री अरुण कुमार मिश्र के घर पर बैठी।

1 टिप्पणी:

  1. कर्मकांड, पूजापाठ कराने वाले लोग दो तरह के होते हैं- निहायत कंजूस और दूसरे आकाशवृत्ति में ुक्कड़। क्या पता कल क्या मिलेगा? तो आज जो है, उसमें मस्ती की जाय। ‘‘भगवान की ही कृपा से तो मिला है, कौन हल चलाने गये हैं ’’ ये होते हैं उनके वचन। ऐसे लोग अगर दान करने और मांगने का ठान लें तो क्या हो सकता है, देखिये, प्रतीक्षा कीजिये। भगवान के लोग, भगवान की कृपा से चले हैं भगवान के लोगों की मदद करने। भगवान उनका भला करें, मनोबल बढ़ायें।

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