रविवार, 26 जनवरी 2014

बिरादरी संगठनों की गतिविधियां

गया और असपास मग परिवार देहातों से आ कर पहले भी बसे हैं और अभी भी बसते जा रहे हैं। कोई एक पुराना मुहलला नहीं है जैसा आरा शहर या दरभंगा के मिश्र टोला। हम लोग एक पारिवारिक सर्वक्षण में लगे हैं। 700 से अधिक फार्म भर कर आ गये हैं। उन्हें इस ब्लाग पर या किसी वेब्साइट का निर्माण कर उस पर डाला जायेगा। अभी 500 से 700 के बीच परिवारों का सर्वेक्षण होना बाकी है।

गया शहर में भी बिरादरी संगठनों की गतिविधियां काफी दिनों से चल रही हैं। संगछनों के पदाधिकारियों के दावे तो बहुत बड़े बड़े हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम दिखाई नहीं देता , जैसे किसी धर्म शाला या सामाजिक भवन का होना, किसी कोश की व्यवस्था जिससे जरूरत मंद की मदद हो सके या इसी तरह का अन्य कार्य। कई बार छोटे बड़े सम्मेलन हुए हैं।
यहां निम्न संगठनों के पदाधिकारियों / प्रतिनिधियों से मेरी मुलाकात हुई है।-
1  सार्वभौम शाद्वीपीय ब्राह्मण महा सभा
2  संज्ञा समिति
3  संज्ञा जागृति
  किसी अन्य की गतिविधि कभी दिखाई नहीं दी।  आकस्मिक रूप से अगर किसी ग्रुप ने कुछ काम किया हो तो मेरी जानकारी के अभाव में उसका यहां नाम नहीं है।

संज्ञा समिति प्रतिवर्ष सूर्य सप्तमी पूजा का आयोजन करती है। इसमें भारत के अन्य स्थानों से भिन्न दूसरी बिरादरी के जजमानों को पर्याप्त संख्या में संज्ञा समिति के पदाधिकारी और आचार्य सम्मिलित करते हैं। यह विवाद का मुद्दा बन जाता है। इसलिये कुछ लोग समानांतर रूप से भी सूर्य सप्तमी का आयोजन करते हैं। पिछले वर्षों में एक नया आयोजन शुरू हुआ है जो घीरे धीरे लोक प्रिय हो रहा है। कार्यक्रम है- परिवार मिलन का। अगली बार बोधगया से पूरब फल्गु तथा मोहाने नदी के पवित संगम पर स्थित धर्माारण्य मतंगवापी में यह आयोजन होना तय हुआ है। इस स्थ के पास बकरौर नाक गांव है। यहां मग परिवारों की संख्या ठीक है और वे उत्साही तथा समर्थ भी हैं। अभी तक यह कार्यक्रम प्रकृति वाटिका , खटका चक में होता रहा है। पहले वर्ष संज्ञा समिति ने पूरी तरह अपने बल पर आयोजन किया दूसरी बार संज्ञा समिति एवं अन्य उत्साही लोगों ने सम्मिलित रूप से और इस बार 19 जनवरी को केवल उत्साही लोगों की आयोजन समिति ने। 

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